Sunday, February 2, 2025

**बसंत पंचमी: ज्ञान, संगीत और प्रकृति के उत्सव का दिन**

**बसंत पंचमी: ज्ञान, संगीत और प्रकृति के उत्सव का दिन**  
बसंत पंचमी का नाम सुनते ही मन में फूलों की खुशबू, पीतांबर धारी मां सरस्वती की मनोहारी छवि और खेतों में लहलहाती सरसों की चादर उभर आती है। यह वह दिन है जब प्रकृति अपने पूरे शृंगार में होती है—आम के पेड़ों पर बौर की मंद मंद महक, कोयल की कूक और हवा में बसंती रंग की छटा। यह त्योहार न सिर्फ ऋतुराज बसंत के आगमन का संदेशवाहक है, बल्कि विद्या, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की आराधना का भी पावन अवसर है।  

### **बसंत का आगाज और प्रकृति का शृंगार**  
बसंत पंचमी हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन से शिशिर की ठंडक विदा होने लगती है और धरती नए रंग-रूप में नहा उठती है। पीले फूलों से लदे बूढ़े पेड़ भी युवाओं जैसी चमक दिखाते हैं। किसानों के लिए यह समय नई फसल की आशा लेकर आता है। प्रकृति जैसे कहती है—"जागो, सृजन का समय आ गया है!"  

### **सरस्वती पूजन: विद्या और कला का आशीर्वाद**  
इस दिन सुबह-सुबह घरों और विद्यालयों में मां सरस्वती की प्रतिमा सजाई जाती है। पीले फूल, केसरिया चंदन और विद्यार्थियों के उत्साह से पूजा स्थल गूंज उठता है। कहा जाता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। संगीतकार अपने वाद्ययंत्रों की पूजा करते हैं, कलाकार नए रंग भरते हैं, और लेखक नए विचारों को जन्म देते हैं। यह दिन सृजन के लिए समर्पित है।  

### **पीतांबर की प्यारी छवि**  
पीला रंग इस त्योहार की पहचान है। यह रंग ज्ञान, ऊर्जा और उल्लास का प्रतीक है। लोग पीले वस्त्र पहनते हैं, पीले फूलों से पूजा करते हैं और केसरयुक्त व्यंजन बनाते हैं। मान्यता है कि पीला रंग सूर्य के तेज को धारण करता है, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाता है।  

### **मस्ती भरे रीति-रिवाज**  
- **पतंगबाजी:** उत्तर भारत में आसमान पतंगों से रंग जाता है। "बूँ-काटा" की आवाज और पतंगों की लड़ाई में उत्साह देखते ही बनता है।  
- **भोग और प्रसाद:** केसरिया हलवा, मीठे चावल और पीले मिष्ठान का भोग लगाया जाता है।  
- **सांस्कृतिक कार्यक्रम:** स्कूलों में नृत्य, गीत और कविता प्रतियोगिताएं होती हैं, जहां बच्चे अपनी प्रतिभा दिखाते हैं।  

### **बसंत पंचमी का संदेश**  
यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि ज्ञान ही वह शक्ति है जो मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है। प्रकृति के इस उत्सव में हमें पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी लेना चाहिए। आज के दौर में, जब दुनिया तकनीक में डूबी है, बसंत पंचमी हमें अपनी संस्कृति और प्रकृति से जुड़ने का मौका देती है।  

**समापन:**  
बसंत पंचमी का यह पावन पर्व हमारे जीवन में नई उमंग, नई सोच और नए सपने लेकर आता है। चलो, इस बसंत हम भी अपने मन के कोने-कोने में ज्ञान की रोशनी बिखेरें और प्रकृति की इस अनमोल देन का सम्मान करें। 🌼📚🎶  

*"सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी।  
विद्यारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा।"*

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